
चंडीगढ़
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने संसद में प्रधानमंत्री से सवाल पूछा कि वर्ष 2014 में अनुमोदित गोरखपुर परमाणु विद्युत संयंत्र की प्रथम इकाई का काम समय पर पूरा करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं, तो कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि गोरखपुर नाभिकीय विद्युत परियोजना में प्रत्येक 700 मेगावाट की दो जुड़ी इकाइयाँ शामिल हैं अर्थात GHRNP-1 और 2 (2×700 मेगावाट) तथा GHRNP-3 और 4 (2×700 मेगावाट)। सरकार द्वारा फरवरी 2014 में GHRNP-1 और 2 के लिए प्रशासकीय अनुमोदन और वित्तीय मंजूरी प्रदान की गई थी। वर्तमान में, GHRNP-1 और 2 निर्माणाधीन हैं और वर्ष 2031-32 तक पूरा होने की संभावना है। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि गोरखपुर परमाणु संयंत्र का काम कछुए की चाल से चल रहा है। 11 साल में डबल इंजन सरकार न्यूक्लियर पावर प्लांट की एक यूनिट भी तैयार नहीं करवा पाई।
दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि इस न्यूक्लियर पावर प्लांट को वर्ष 2028 तक ही काम शुरू करना था लेकिन सरकार ने कहा इसके 2031-32 तक पूरा होने की संभावना है। दीपेन्द्र हुड्डा ने इस महत्त्वपूर्ण परियोजना में विलंब के कारणों और ऊर्जा क्षमता और लागत वृद्धि पर इसके प्रभाव के आकलन का ब्यौरा मांगा। लेकिन सरकार ने इस बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। अपने उत्तर में सरकार ने माना कि निर्माण के दौरान मिट्टी की स्थिरता में अप्रत्याशित बदलाव के कारण मुख्य रूप से देरी हुई है और जब तक स्थल विशेष भू-सुधार कार्य पूर्ण नहीं हो जाते और विनियामक स्वीकृति प्राप्त नहीं होती, तब तक मुख्य नाभिकीय आइलैंड में पूर्ण रूप से निर्माण कार्य आरंभ नहीं किया जाएगा।
सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने हरियाणा में 4 थर्मल पॉवर प्लांट और एक परमाणु बिजली संयंत्र लगाकर प्रदेश की बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाई। इसके तहत खेदड़ हिसार में राजीव गांधी थर्मल पॉवर – 1200 मेगावाट, झज्जर स्थित इंदिरा गांधी सुपर थर्मल पावर -1500 मेगावाट, झज्जर स्थित महात्मां गांधी सुपर थर्मल पावर -1320 मेगावाट, दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर यमुनानगर -600 मेगावाट, पानीपत थर्मल पावर स्टेज 6 – 250 मेगावाट के बिजली कारखाने लगवाये। इसके अलावा भारत अमेरिका समझौते के तहत देश का पहला गोरखपुर परमाणु पावर प्लांट मंजूर कराकर काम शुरु कराया था। इसके अलावा, कांग्रेस सरकार ने राज्य को बिजली संकट से मुक्त कराकर पावर सरप्लस प्रदेश बना दिया था और हरियाणा में पूरे देश में सबसे सस्ती बिजली मिलती थी। पिछले 11 साल में BJP सरकार ने कोई नया बिजली कारखाना लगवाना तो दूर, लोगों को मिलने वाली बिजली भी महंगी कर दी।