
नई दिल्ली.
सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने 22 अप्रैल को हुए पाहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई के बारे में विस्तार से बताया है। उन्होंने बताया कि हमले के अगले ही दिन सशस्त्र बलों को “फ्री हैंड” दे दिया गया था, ताकि वे अपनी रणनीति और विवेक के अनुसार कार्रवाई कर सकें। जनरल द्विवेदी ने कहा कि 23 अप्रैल को हुई बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा- “अब बहुत हो चुका”।
इस बैठक में तीनों सेना प्रमुख मौजूद थे और यह सहमति बनी कि निर्णायक कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “पहली बार हमने इस तरह का राजनीतिक आत्मविश्वास, स्पष्टता और दिशा देखी, जिसने हमारे कमांडरों का मनोबल बढ़ाया।” 25 अप्रैल को सेना प्रमुख ने उत्तरी कमान का दौरा किया, जहां विस्तृत योजना पर काम हुआ। नौ में से सात प्रमुख आतंकी ठिकानों को प्राथमिकता दी गई। लक्ष्य था कि पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में सक्रिय आतंकवादी बुनियादी ढांचे को तबाह करना है। इन सात लक्ष्यों को सटीकता से नष्ट किया गया और बड़ी संख्या में आतंकियों को मार गिराया गया।
पाहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सेना प्रमुख की पहली बैठक 29 अप्रैल को हुई थी। जनरल द्विवेदी ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक नाम नहीं था, बल्कि यह पूरे राष्ट्र को जोड़ने वाला अभियान था। यही वजह थी कि लोग पूछ रहे थे- आपने क्यों रोका? और इस सवाल का पूरा जवाब दिया गया।”
हमले के पंद्रह दिन बाद, 7 मई को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह के अनुसार, इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के 5 लड़ाकू विमान और एक बड़ा एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) विमान मार गिराया गया। 100 से अधिक आतंकियों को पाकिस्तान और PoK में ढेर किया गया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को हाल के वर्षों की सबसे सटीक और सफल जवाबी सैन्य कार्रवाई माना जा रहा है। सेना प्रमुख के अनुसार, स्पष्ट राजनीतिक समर्थन और तीनों सेनाओं की संयुक्त योजना ने इसे संभव बनाया।