
चंडीगढ़
पंजाब में अब कोई भी शिक्षक पढ़ाने के सिवाय गैर शैक्षिक कार्य नहीं करेगा। शिक्षामंत्री हरजोत बैंस ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे तुरंत प्रभाव से इस संदर्भ में सभी विभागों को सख्त हिदायत जारी करें। शिक्षामंत्री ने साफ कहा कि शिक्षकों के लिए कक्षाएं सबसे ज्यादा जरूरी कार्य हैं न कि अन्य कार्य। कई जिलों में शिक्षकों को कक्षाओं से हटाकर रुटीन प्रशासनिक कामों में लगाने की रिपोर्टों पर शिक्षामंत्री ने कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने इस रिवायत को शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों के साथ घोर अन्याय करार दिया। उन्होंने शिक्षण ड्यूटी को प्राथमिकता देने पर जोर देते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि शिक्षक अपनी मुख्य जिम्मेदारी पर ही ध्यान केंद्रित करें।
मुख्य सचिव को लिखे पत्र में मंत्री बैंस ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि शिक्षक केवल साधारण सरकारी कर्मचारी नहीं हैं – वे ज्ञान और मूल्यों के ध्वजवाहक हैं, जिन्हें पंजाब के भविष्य को दिशा देने की पवित्र जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें कक्षाओं की जगह विभिन्न प्रशासनिक कामों में लगाना न केवल उनके साथ बल्कि हमारे बच्चों के साथ भी अन्याय है। ऐसा करने से बच्चों की शिक्षा का अधिकार प्रभावित होता है। बताते चलें कि इस संदर्भ में सूबे के शिक्षक भी मांग कर रहे थे, जिस पर अब शिक्षा मंत्री संज्ञान ले लिया है।
मंत्री ने आरटीई एक्ट का दिया हवाला
मंत्री ने बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम-2009 की धारा 27 का हवाला देते हुए कहा कि यह धारा गैर-शैक्षिक उद्देश्यों के लिए शिक्षकों की तैनाती पर रोक लगाती है। यह मनाही केवल कुछ विशेष मौकों जैसे दस वर्षीय जनगणना, आपदा राहत कार्य और स्थानीय संस्थाओं, राज्य विधानसभाओं या संसदीय चुनावों में ड्यूटी पर लागू नहीं होती। शिक्षा मंत्री बैंस ने बताया कि यह व्यवस्था बहुत सोच-समझकर लागू की गई थी ताकि शिक्षकों का समय और ऊर्जा क्लासरूम शिक्षण पर केंद्रित रह सके, जो हमारे समाज की प्रगति का आधार है। उन्होंने कहा कि कई बार जरूरी सरकारी काम हो सकते हैं, लेकिन ऐसे कार्यों के लिए शिक्षक को पहला विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। कक्षाओं में उनकी मौजूदगी के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं होना चाहिए।
लिखित अनुमति लेना अनिवार्य
पत्र में मुख्य सचिव को निर्देश देते हुए मंत्री बैंस ने कहा कि सभी प्रशासनिक विभागों और जिला अधिकारियों को स्पष्ट आदेश जारी किए जाएं कि आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 27 में बताई गई ड्यूटी के अलावा शिक्षकों की कोई भी गैर-शैक्षिक ड्यूटी न लगाई जाए। ऐसी कोई भी स्थिति, जहां शिक्षकों की तैनाती आवश्यक हो, ऐसी किसी भी तैनाती से पहले स्कूल शिक्षा विभाग से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य किया जाए।