
चंडीगढ़
श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के 350वें बलिदान दिवस पर राज्य सरकार श्री आनंदपुर साहिब को जिला बनाने की घोषणा कर सकती है। यह राज्य का 24वां जिला होगा। इसे लेकर कवायद भी चल रही है। राज्य सरकार ने संबंधित विभागों को इस जिले में कौन कौन से क्षेत्र शामिल कर सकते हैं, इसका पता लगाने को कहा है।
दरअसल में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के 350वें बलिदान दिवस को राज्य सरकार बड़े पैमाने पर मनाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए कई कार्यक्रम तैयार किए गए हैं। पहली बार पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र भी विधानसभा से बाहर श्री आनंदपुर साहिब में करवाया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि आनंदपुर साहिब को अगर जिला बनाया जाता है तो इसमें कौन से दो विधानसभा हलकों को रखा जाए, इस पर भी चर्चा चल रही है।
आनंदपुर साहिब क्षेत्र होशियारपुर और रूपनगर (रोपड़) जिलों की विधानसभाओं में बंटा हुआ है। स्थानीय जनता, धार्मिक संस्थान और जनप्रतिनिधि लंबे समय से इसे अलग जिला बनाने की मांग कर रहे हैं। प्रशासनिक सहूलियत और क्षेत्रीय विकास के लिहाज से भी यह निर्णय महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
560 करोड़ खर्च होने का अनुमान सरकार द्वारा गठित की गई एक उच्चस्तरीय समिति ने नए जिलों के गठन की संभावनाओं का आकलन किया है। एक जिले के गठन में लगभग 560 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है, जिसमें अधोसंरचना, प्रशासनिक भवन, कर्मचारियों की नियुक्ति आदि शामिल हैं।
नए जिले में कौन-कौन सी सीटें होंगी शामिल? अनुमान लगाया जा रहा है कि नए आनंदपुर साहिब जिले में होशियारपुर जिले की एक या दो विधानसभा सीटें भी शामिल की जा सकती हैं। इसके साथ ही यह भी चर्चा है कि आनंदपुर साहिब और नंगल क्षेत्र को मुख्य केंद्र बनाकर नए जिले का गठन किया जाएगा।
CM ने की थी 'हेरिटेज स्ट्रीट' प्रोजेक्ट की शुरुआत 3 दिन पहले रूपनगर जिले के श्री आनंदपुर साहिब में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 50 साल बाद “हेरिटेज स्ट्रीट” प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इस योजना का मकसद इस पवित्र और ऐतिहासिक शहर को दुनियाभर में सांस्कृतिक और पर्यटन के रूप में पहचान दिलाना है।
राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम फैसला इस तरह के फैसले से सरकार को धार्मिक और क्षेत्रीय संतुलन बनाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही आगामी विधानसभा चुनावों में इसका लाभ लेने की भी संभावनाएं हैं।
खर्चा का है अहम सवाल
श्री आनंदपुर साहिब इस समय रोपड़ जिले का हिस्सा है जिसमें तीन विधानसभा हलके आते हैं। रोपड़, श्री आनंदपुर साहिब और श्री चमकौर साहिब। श्री आनंदपुर साहिब के पड़ोसी जिले होशियारपुर में छह सीटें हैं।
यह भी चर्चा है कि इस जिले की एक या दो सीटों को श्री आनंदपुर साहिब में शामिल कर लिया जाए। श्री आनंदपुर साहिब के साथ होशियारपुर जिले की गढ़शंकर सीट लगती है, लेकिन असल सवाल नए जिले में सीटों को शामिल करने का नहीं बल्कि नए जिले पर होने वाले खर्च को लेकर भी है।
28 करोड़ रुपये वार्षिक देना होगा वेतन
विभागीय सूत्रों का कहना है कि एक नया जिला बनाने में 560 करोड़ रुपये तो उसमें बनने वाले नए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ही आता है, जिसमें सभी जिला स्तरीय अधिकारियों के लिए दफ्तर, आवास आदि शामिल हैं।
इसके अलावा नई जिला अदालतें, उनमें काम करने वाले जजों के लिए आवास आदि पर भी खर्च आता है। यही नहीं,हर नए जिले पर अतिरिक्त अधिकारियों और कर्मचारियों पर खर्च करने पर भी 28 करोड़ रुपये वार्षिक वेतन बढ़ने के भी आसार हैं।
ऐसे में पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार के लिए इस अतिरिक्त खर्च को वहन करना मुश्किल होगा। दूसरा विभागीय अधिकारियों में इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है कि क्या श्री आनंदपुर साहिब को जिला बनाने की जरूरत है?
या सिर्फ राजनीतिक फैसला है? एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछली कांग्रेस सरकार के समय मालेरकोटला को जिला बनाया गया और इसमें दो विधानसभा सीटें मालेरकोटला और अमरगढ़ शामिल की गईं, लेकिन कांग्रेस ये दोनों सीटें हार गई।
जिलास्तरीय आधारभूत ढांचा नहीं हो पाया विकसित
उनका कहना था कि अगर बहुत बड़े जिले हों और लोगों को अपने काम करवाने के लिए दिक्कत आ रही हो तब तो यह बात समझ में आती है लेकिन एक बहुत ही छोटे जिले को तोड़कर उसका एक और जिला बनाना किसी भी रूप से तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने यह भी कहा कि मालेरकोटला जिला बने हुए चार साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन आज तक वहां जिला स्तरीय आधारभूत ढांचा विकसित नहीं हो पाया।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाई कोर्ट ने मालेरकोटला के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को सरकारी आवास खाली करने संबंधी जो आदेश दिया था ,को वापस लेने की मांग को खारिज कर दिया।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने खंडपीठ ने सरकार की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि मालेरकोटला को जून 2021 में जिला बनाया गया और अगस्त 2023 में इसे सत्र डिवीजन घोषित किया गया, लेकिन अब तक न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचा तक खड़ा नहीं हुआ। चीफ जस्टिस ने सख्त लहजे में कहा था कि चार साल बीत गए लेकिन आपने जजों के लिए आवास तक तैयार नहीं किए।