नई दिल्ली
भारत ने वैश्विक स्तर पर कुल वन क्षेत्र के मामले में नौवां स्थान हासिल करके वैश्विक पर्यावरण संरक्षण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को बाली में खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा शुरू किए गए वैश्विक वन संसाधन आकलन (GFRA) का हवाला देते हुए यह घोषणा की.
उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय प्रगति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की सफलता को रेखांकित करती है, जिनका उद्देश्य वन संरक्षण, वनीकरण और समुदाय के नेतृत्व में पर्यावरणीय कार्रवाई करना है.
यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "भारत वैश्विक वन आकलन 2025 में शीर्ष 9 में है. हमने पिछले आकलन में 10वें स्थान की तुलना में वैश्विक स्तर पर वन क्षेत्र के मामले में 9वां स्थान हासिल किया है. हमने वार्षिक लाभ के मामले में भी वैश्विक स्तर पर अपना तीसरा स्थान बनाए रखा है.एफएओ ने बाली में वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन (जीएफआरए) 2025 शुरू किया है.”
एक पेड़ मां के नाम
पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल – 'एक पेड़ मां के नाम' से पूरे देश को पौधारोपण की प्रेरणा मिल रही है। उन्होंने कहा कि पौधारोपण अभियानों में बढ़ती जन भागीदारी, विशेष रूप से 'एक पेड़ मां के नाम' पहल के तहत, और राज्य सरकारों द्वारा बड़े पैमाने पर चलाए गए अभियानों ने इस प्रगति में योगदान दिया है।
सभी भारतीयों के लिए खुशी
उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा, ''यह सभी भारतीयों के लिए खुशी का कारण है। हमने पिछले मूल्यांकन में 10वें स्थान की तुलना में वैश्विक स्तर पर वन क्षेत्र के मामले में 9वां स्थान हासिल किया है। हमने वार्षिक लाभ के मामले में भी वैश्विक स्तर पर अपना तीसरा स्थान बनाए रखा है। वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन (जीएफआरए) 2025 को एफएओ द्वारा बाली में जारी किया गया है।''
दुनिया के शीर्ष 10 वन-समृद्ध देशों में शामिल है भारत एफएओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया का कुल वन क्षेत्र 4.14 बिलियन हेक्टेयर है, जो पृथ्वी की 32 प्रतिशत भूमि को कवर करता है। इसका आधे से ज्यादा (54 प्रतिशत) हिस्सा सिर्फ पांच देशों – रूस, ब्राजील, कनाडा, अमेरिका और चीन में केंद्रित है। आस्ट्रेलिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इंडोनेशिया के बाद भारत दुनिया के शीर्ष 10 वन-समृद्ध देशों में शामिल है।
चीन ने दर्ज की सबसे ज्यादा वृद्धि
चीन ने 2015 और 2025 के बीच वन क्षेत्र में सबसे ज्यादा शुद्ध वार्षिक वृद्धि दर्ज की, जो 1.69 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष थी, उसके बाद रूस 9,42,000 हेक्टेयर और भारत 1,91,000 हेक्टेयर के साथ दूसरे स्थान पर है। महत्वपूर्ण वन विस्तार वाले अन्य देशों में तुर्किये (1,18,000 हेक्टेयर), आस्ट्रेलिया (1,05,000 हेक्टेयर), फ्रांस (95,900 हेक्टेयर), इंडोनेशिया (94,100 हेक्टेयर), दक्षिण अफ्रीका (87,600 हेक्टेयर), कनाडा (82,500 हेक्टेयर) और वियतनाम (72,800 हेक्टेयर) शामिल हैं।
वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज करने वाला एकमात्र क्षेत्र है एशिया मूल्यांकन से पता चला है कि 1990 और 2025 के बीच वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज करने वाला एशिया एकमात्र क्षेत्र है, जिसमें चीन और भारत में वृद्धि सबसे ज्यादा है। वैश्विक स्तर पर शुद्ध वन हानि की वार्षिक दर में आधे से भी ज्यादा की कमी आई है, जो 1990 के दशक के 10.7 मिलियन हेक्टेयर से घटकर 2015-2025 के दौरान 4.12 मिलियन हेक्टेयर हो गई है।
एफएओ ने कहा कि एशिया के वन विस्तार ने वैश्विक वनों की कटाई को धीमा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका में सबसे ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 20 प्रतिशत वन अब कानूनी रूप से स्थापित संरक्षित क्षेत्रों में हैं, जबकि 55 प्रतिशत का प्रबंधन दीर्घकालिक योजनाओं के तहत किया जाता है।
यादव ने कहा कि बढ़ती जन भागीदारी हरित और टिकाऊ भविष्य के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी की मजबूत भावना को बढ़ावा दे रही है. एफएओ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का कुल वन क्षेत्र 4.14 अरब हेक्टेयर है, जो पृथ्वी की 32 फीसदी जमीन पर है. रिपोर्ट के अनुसार आधे से अधिक वनक्षेत्र (54 प्रतिशत) सिर्फ पांच देशों – रूस, ब्राजील, कनाडा, अमेरिका और चीन में है.
वहीं ऑस्ट्रेलिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इंडोनेशिया के बाद भारत दुनिया के शीर्ष 10 वन-समृद्ध देशों में शामिल है. इतना ही नहीं चीन में 2015 से 2025 के बीच वन क्षेत्र में सबसे ज्यादा वार्षिक शुद्ध वृद्धि 1.69 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष दर्ज की गई, उसके बाद रूसी संघ 9,42,000 हेक्टेयर और भारत 1,91,000 हेक्टेयर के साथ दूसरे स्थान पर है.
इसके अलावा अहम वन विस्तार वाले अन्य देशों में तुर्किये (1,18,000 हेक्टेयर), ऑस्ट्रेलिया (1,05,000 हेक्टेयर), फ्रांस (95,900 हेक्टेयर), इंडोनेशिया (94,100 हेक्टेयर), दक्षिण अफ्रीका (87,600 हेक्टेयर), कनाडा (82,500 हेक्टेयर) और वियतनाम (72,800 हेक्टेयर) शामिल हैं.
गौरतलब है कि मूल्यांकन से पता चला है कि एशिया इकलौता ऐसा इलाका है जहां 1990 से 2025 के बीच वन क्षेत्र में इजाफा दर्ज किया गया. इसमें चीन और भारत का योगदान सबसे ज्यदा है. एफएओ ने कहा कि एशिया में वनक्षेत्र विस्तार ने वैश्विक वनों की कटाई को धीमा करने में अहम भूमिका निभाई है जबकि दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका में वनों की सबसे अधिक कटाई हुई है.
विशेषज्ञ की राय
नीतिगत फोकस का स्पष्ट प्रतिबिंब है : वोहरा
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, पर्यावरण कार्यकर्ता बीएस वोहरा ने ईटीवी भारत को बताया, "कुल वन क्षेत्र में भारत का विश्व स्तर पर 9वें स्थान पर पहुंचना और वार्षिक वन वृद्धि में तीसरे स्थान पर बने रहना, निरंतर वनीकरण कार्यक्रमों और नीतिगत फोकस का स्पष्ट प्रतिबिंब है. यह संकेत देता है कि समुदाय-आधारित वृक्षारोपण अभियान, नीति-स्तरीय वन प्रशासन और 'एक पेड़ के नाम' जैसी पहल जैसे बड़े पैमाने के प्रयास अपना प्रभाव दिखा रहे हैं."
हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि अब ध्यान मात्रा से हटकर गुणवत्ता पर केंद्रित होना चाहिए, ताकि दीर्घकालिक पर्यावरणीय और जलवायु लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए जैव विविधता, पारिस्थितिक स्वास्थ्य और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके.
