
रायपुर
आश्विन माह की पूर्णिमा, यानी 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा धूमधाम से मनाई जाएगी. इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ अमृत वर्षा करता है. मठ-मंदिरों और घरों में खीर बनाई जाएगी, बंगाली समाज में मां लक्ष्मी की विशेष पूजा होगी, और दूधाधारी मठ में भगवान बालाजी की सदियों पुरानी परंपरा निभाई जाएगी.
दूधाधारी मठ में बालाजी की विशेष पूजा
शरद पूर्णिमा पर दूधाधारी मठ में भगवान बालाजी को आधी रात गर्भगृह से बाहर लाया जाएगा. यह सदियों पुरानी परंपरा है, जिसमें भगवान को चांदी के सिंहासन पर विराजमान कर महंत रामसुंदर दास अनुष्ठान करेंगे. इसके बाद भक्तों को अमृत खीर का प्रसाद वितरित किया जाएगा. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार चंद्रमा का सप्तम भाव में होना और वृद्धि योग इस दिन को विशेष फलदायी बनाता है, हालांकि सर्दी और भावनात्मक समस्याओं से जूझ रहे लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.
बंगाली समाज में मां लक्ष्मी की कोजागरी पूजा
बंगाली समाज में शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी की पूजा, जिसे कोजागरी पूजा भी कहते हैं, विशेष उत्साह के साथ की जाएगी. रायपुर की कालीबाड़ी चौक, पंडरी सिटी, शिवानंद नगर, माना कैंप, डब्ल्यूआरएस कॉलोनी, और गुढ़ियारी सहित कई कालीबाड़ियों में शाम 7:30 बजे से पूजा, पुष्पांजलि, भोग और आरती का आयोजन होगा. बंग समाज के लोग इस अवसर पर एकत्रित होकर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद लेंगे.
श्री महाकाल धाम में शिवामृत महोत्सव
खारुन तट पर स्थित महाकाल धाम, अमलेश्वर में शरद पूर्णिमा पर शिवामृत महोत्सव का आयोजन होगा. सुबह 9 बजे से सहस्त्र पार्थिव शिवलिंग निर्माण, पूजन और वैदिक हवन के साथ उत्सव शुरू होगा. दिनभर रुद्राभिषेक और पूजन के बाद संध्या में भगवान महाकाल की महाआरती, भक्ति संध्या, जागरण और अखंड संकीर्तन होगा. इसके अलावा, गोपाल मंदिर में रास उत्सव और गिरिराज मंदिर में दो दिवसीय उत्सव मनाया जाएगा, जहां ठाकुरजी को श्वेत वस्त्र-आभूषणों से सजाया जाएगा और चंद्रमा की रोशनी में आरती की जाएगी.