
नई दिल्ली
जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में बड़ा फैसला लिया गया है। यहां अब कुलपति शब्द की जगह कुलगुरु कहा जाएगा। जानकारी के मुताबिक ये फैसला लिंग-समावेशी कदम उठाते हुए लिया गया है। जानकारी के मुताबिक यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने खुद इस प्रस्ताव को एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक के सामने रखा था जिसमें सहमति भी मिल गई।
इस बारे में जानकारी देते हुए जेएनयू की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने कहा, "कुलगुरु लिंग-निरपेक्ष है। गुरु एक अकादमिक प्रमुख के लिए सही शब्द है, और यह सभी भारतीय भाषाओं में भी है। इस बीच, 'पति' शब्द कई अन्य चीजों को दर्शाता है। यही कारण है कि मुझे लगा कि 'कुलगुरु' ज्यादा सही लगा।
जानकारी के मुताबिक ये फैसला इसी साल यानी 2025 में ही लागू हो सकता है। इसे डिग्री सर्टिफिकेट और अन्य डॉक्यूमेंट्स में शामिल किया जाएगा। यानी वाइस चांसलर अब जिन दस्तावेज पर हस्ताक्षप करेंगी, उनमें कुलपति की जगह कुलगुरु लिखा नजर आएगा।