
अहमदाबाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात में मारुति सुजुकी ई-विटारा इलेक्ट्रिक एसयूवी और हाइब्रिड बैटरी यूनिट का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने भारत और जापान के मजबूत संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों के रिश्ते 'मेड फॉर ईच अदर' वाले हैं। भारत-जापान के बीच 'पीपल टू पीपल' कनेक्ट बढ़ा है। स्किल और ह्यूमन रिसोर्स से जुड़ी एक-दूसरे की जरूरतों को भी हम पूरा कर पा रहे हैं।
आने वाले वर्षों में सभी प्रमुख क्षेत्रों में निरंतर प्रगति की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि आज के प्रयास 2047 तक एक विकसित भारत की नींव मजबूत करेंगे। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त करते हुए समापन किया कि जापान इस लक्ष्य को प्राप्त करने में एक विश्वसनीय भागीदार बना रहेगा। प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि वह अगले हफ्ते जापान जाएंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और जापान के बीच संबंध सिर्फ कूटनीतिक संबंधों से कहीं आगे तक फैले हैं, यह संस्कृति और आपसी विश्वास पर आधारित है। दोनों देश एक-दूसरे के विकास में अपनी प्रगति देखते हैं। मारुति सुजुकी के साथ शुरू हुआ सफर अब बुलेट ट्रेन की गति तक पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि भारत-जापान साझेदारी की औद्योगिक क्षमता को साकार करने की प्रमुख पहल गुजरात में शुरू हुई थी। अतीत को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 20 साल पहले जब वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन शुरू हुआ था, तब जापान एक प्रमुख साझेदार था। उद्योग से जुड़े नियम और कानून जापानी भाषा में छपवाए गए, ताकि उन्हें समझना आसान हो। उन्होंने गोल्फ के प्रति जापानियों के लगाव की सराहना की और बताया कि उनके हितों को ध्यान में रखते हुए 7-8 नए गोल्फ कोर्स विकसित किए गए हैं। पीएम मोदी ने आगे बताया कि भारत के कॉलेज और विश्वविद्यालय अब जापानी भाषा की शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत के निरंतर प्रयास भारत और जापान के लोगों के बीच आपसी संपर्क को मजबूत कर रहे हैं। दोनों देश अब कौशल विकास और मानव संसाधन के क्षेत्र में एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं।" उन्होंने मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों से ऐसी पहलों में सक्रिय रूप से भाग लेने और युवा आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा देने का आग्रह किया। ओसामु सुजुकी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत सरकार को उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने का गौरव प्राप्त हुआ था। उन्हें मारुति सुजुकी इंडिया के लिए ओसामु सुजुकी के विजन के व्यापक विस्तार को देखकर प्रसन्नता हो रही है।
उन्होंने बताया कि सुजुकी जापान भारत में निर्माण कर रही है और यहां उत्पादित वाहनों का निर्यात जापान को किया जा रहा है। यह न सिर्फ भारत-जापान संबंधों की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक कंपनियों के भारत में बढ़ते विश्वास को भी दर्शाता है। मारुति सुजुकी जैसी कंपनियां प्रभावी रूप से 'मेक इन इंडिया' की ब्रांड एंबेसडर बन गई हैं। यह उल्लेख करते हुए कि मारुति सुजुकी लगातार 4 वर्षों से भारत की सबसे बड़ी कार निर्यातक रही है, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि आज से इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्यात भी उसी पैमाने पर शुरू होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के दर्जनों देशों में चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर गर्व से 'मेड इन इंडिया' का लेबल लगा होगा। पीएम मोदी ने जोर देकर कहा, "भारत के पास डेमोक्रेसी की मजबूती और डेमोग्राफी का लाभ है। भारत में कुशल कार्यबल का एक विशाल भंडार भी है, जो प्रत्येक भागीदार के लिए जीत की स्थिति पैदा करता है।"
भारत की सफलता की कहानी के बीज 12-13 साल पहले बोए गए थे। यह याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2012 में उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान हंसलपुर में मारुति सुजुकी को जमीन आवंटित की गई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि उस समय भी, आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया का विजन था। उन्होंने कहा कि वे शुरुआती प्रयास अब देश के वर्तमान संकल्पों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सभी मिलकर आगे बढ़ाएं और वोकल फॉर लोकल बनें। उन्होंने कहा कि स्वदेशी चीजें ही जीवन मंत्र बननी चाहिए। गर्व से स्वदेशी चीजों की तरफ चल पड़ो।
उन्होंने कहा, "मेरी स्वदेशी की व्याख्या बहुत साधारण है। पैसा किसका लगता है, उससे मुझे कोई लेना-देना नहीं है। चाहे वह डॉलर हो, पाउंड हो या करेंसी काली हो या गोरी, इससे लेना-देना नहीं है, लेकिन जो प्रोडक्शन है, उसमें पसीना मेरे देशवासियों का होगा। जो प्रोडक्शन होगा, उसमें महक मेरे देश की मिट्टी की होगी। इस भाव के साथ मेरे साथ चलें और 2047 में ऐसा हिंदुस्तान बनाएं कि आने वाली पीढ़ियां आपके त्याग का गर्व करेंगी। आपके योगदान का गर्व करेंगी।" प्रधानमंत्री ने सबसे आखिरी में कहा, "आत्मनिर्भर भारत के मंत्र और स्वदेशी के मार्ग के लिए आज देशवासियों को न्योता देता हूं कि आइए, सभी चल पड़ें और 2047 तक विकसित भारत बनाकर रहेंगे। दुनिया की भलाई में भारत का योगदान बढ़ाते रहेंगे।"