 
                चंडीगढ़ 
हरियाणा कांग्रेस अब नए तेवर में दिखाई दे रही है। प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने संगठन को ‘कागजी’ नहीं, ‘जमीनी’ रूप देने की ठान ली है। उन्होंने सभी जिलाध्यक्षों को एक विस्तृत पत्र भेजकर कार्यकारिणी गठन का स्पष्ट और सटीक फॉर्मूला तय कर दिया है ताकि न तो पदाधिकारियों में भ्रम रहे और न जिम्मेदारी में किसी तरह की ढील की कोई गुंजाइश बचे। पार्टी नेतृत्व से मिले ‘फ्री-हैंड’ के साथ ही हरियाणा कांग्रेस में अब ‘अनुशासन और जवाबदेही’ का नया दौर शुरू हो गया है।
प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने संगठन के भीतर कसावट लाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। एक ऐसा कदम जो प्रदेश कांग्रेस की कार्यसंस्कृति को बदलने की क्षमता रखता है। पत्र में राव ने यह भी तय कर दिया गया है कि अब हर माह संगठन के हर स्तर पर रिपोर्टिंग और समीक्षा होगी। राजनीतिक हलकों में इस कदम को राव का ‘संगठनिक मास्टरस्ट्रोक’ कहा जा रहा है क्योंकि क्योंकि इससे कई निष्क्रिय जिलों में हरकत और स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा देखने को मिल रही है।
राव नरेंद्र सिंह का यह कदम आंतरिक संगठनात्मक राजनीति के बीच एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से कुछ जिलों में निष्क्रियता और गुटबाज़ी बनी हुई थी। अब हर माह की समीक्षा प्रणाली से यह साफ हो जाएगा कि कौन जिलाध्यक्ष वास्तव में सक्रिय है और कौन सिर्फ नाम के लिए पद संभाले हुए है। राव की रणनीति यह भी है कि 2029 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस संगठन ‘जाग्रत और जवाबदेह’ दोनों हो जाए।
राव नरेंद्र सिंह ने हरियाणा कांग्रेस को सिर्फ पदों के ढांचे से निकालकर एक प्रणाली में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया है। उनका मॉडल अब हर महीने हर स्तर पर नतीजे मांगेगा। यानी कांग्रेस संगठन अब खुद पर नजर रखेगा। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह हरियाणा कांग्रेस में लंबे समय बाद पहली बार है जब ‘रिपोर्टिंग कल्चर’ को अनिवार्य बनाया गया है।
संगठन के लिए ‘मॉडल ब्लूप्रिंट’
पत्र के मुताबिक, हर जिले में अब कांग्रेस का ढांचा एकदम स्पष्ट होगा। चार उपाध्यक्ष, एक महासचिव (संगठन), आठ महासचिव, एक कोषाध्यक्ष और सोलह सचिव मिलाकर कुल 31 सदस्यीय कार्यकारिणी बनेगी। राव ने जिला अध्यक्षों को यह छूट भी दी है कि वे चाहें तो वरिष्ठ नेताओं और प्रदेश अध्यक्ष के साथ चर्चा कर कार्यकारिणी के सदस्य चुन सकते हैं, ताकि संगठनात्मक फैसले ‘एकतरफा नहीं, सामूहिक’ हों। इसी फार्मूले पर ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों का गठन भी किया जाएगा। राव ने कहा – ‘संगठन केवल चेहरों का जमावड़ा नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारियों का तंत्र है। हर पद पर काम दिखना चाहिए, न कि सिर्फ नाम।’
पानीपत शहरी की फाइल अभी खुलनी बाकी
कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे में 33 जिलाध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। इनमें 32 नियुक्तियां हो चुकी हैं, जबकि पानीपत शहरी जिलाध्यक्ष की कुर्सी अब भी खाली है। राव ने संकेत दिए हैं कि यह नियुक्ति भी जल्द होगी, ताकि प्रदेश का पूरा संगठनात्मक नक्शा तैयार हो सके। इस बीच कई जिलाध्यक्षों ने पहले ही ब्लॉक स्तर की गतिविधियां तेज़ कर दी हैं। इसमें हस्ताक्षर अभियान से लेकर सदस्यता विस्तार तक शामिल हैं।
 
3 नवंबर को ‘कांग्रेस की क्लास’
राव नरेंद्र सिंह ने अब 3 नवंबर को चंडीगढ़ स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में सभी जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई है। यह बैठक केवल औपचारिक नहीं, बल्कि ‘रिपोर्ट कार्ड मीटिंग’ होगी। जिलाध्यक्षों को अपने-अपने जिलों में किए गए कार्यों की रिपोर्ट पेश करनी होगी। खासकर ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ अभियान, ब्लॉक कार्यकारिणी गठन और स्थानीय जनसंपर्क गतिविधियों की स्थिति पर रिपोर्ट देनी होगी। बैठक में हरियाणा मामलों के प्रभारी बीके हरिप्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दोनों सह-प्रभारी भी मौजूद रहेंगे। राजनीतिक रूप से यह बैठक राव की नेतृत्व क्षमता और जिलाध्यक्षों की निष्ठा दोनों की परीक्षा मानी जा रही है।
‘हर महीने जवाबदेही’ का फार्मूला
राव नरेंद्र सिंह ने संगठन को निष्क्रियता से निकालने के लिए एक सख्त शेड्यूल लागू किया है। इसके तहत 1 से 5 तारीख के बीच ब्लॉक कांग्रेस की बैठकें होंगी। 6 से 10 तारीख के बीच जिलाध्यक्षें को जिला स्तर की बैठकें करनी होंगी। इन बैठकों की समीक्षा हर माह 11 से 15 तारीख के बीच प्रदेशाध्यक्ष के साथ होने वाली बैठक में की जाएगी। यानी अब हर माह कांग्रेस संगठन के भीतर ‘संगठनात्मक गतिविधियों की पल्स’ मापी जाएगी। राव का संदेश साफ है – ‘जो सक्रिय रहेगा, वही आगे बढ़ेगा। जो सिर्फ राजनीति करेगा, उसे संगठन नहीं बचाएगा।’
ग्राउंड लेवल पर वर्करों को मिलेगा मंच
राव ने जिलाध्यक्षों को यह भी निर्देश दिया है कि वे ब्लॉक स्तर पर हर माह कार्यकर्ता बैठकें करें और संगठन में नए लोगों को जोड़ें। उनका जोर है कि कांग्रेस की असली ताकत ब्लॉक नहीं, बूथ पर तैयार होती है। इसलिए कार्यकर्ताओं को ‘न्याय यात्रा’ और ‘हस्ताक्षर मुहिम’ जैसे अभियानों से जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि पार्टी जनता के मुद्दों पर सड़क तक उतरी दिखे।

 
                     
                     
                    