
गुना
आखिरकार माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश भोपाल को अपने पुराने आदेश में संशोधन करने विवश होना पड़ा है। जिसके तहत इस बार कक्षा 9 से 12 वीं तक के विद्यार्थियों को परीक्षा फार्म (exam form) में अपार आईडी भरने के लिए राहत मिल गई है क्योंकि समय सीमा में सभी स्टूडेंट की अपार आईडी नहीं बन सकी। इसके निर्माण में शुरुआत से जो तकनीकी परेशानियां सामने आईं वह 9 माह बाद भी दूर नहीं हो सकीं।
इस वजह से आपार आईडी को नहीं किया गया अनिवार्य
गुना जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 2 लाख 70 हजार 126 स्टूडेंट की अपार आईडी (Apaar ID) बनाई जानी। लेकिन अब तक एक लाख 72 हजार 33 बच्चों की आईडी ही बन सकी हैं। बता दें कि अपार आईडी बनाने का आदेश अक्टूबर 2024 को ही सभी स्कूलों को जारी हो चुका था। जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने एक शिक्षक की जिम्मेदार भी तय की लेकिन आधार और समग्र आईडी के डेटा का सही मिलान न होने की वजह से यह काम समय सीमा में नहीं हो सका।
नया संशोधित आदेश
बता दें कि माध्यमिक शिक्षा मंडल ने जो नया संशोधित आदेश जारी किया है उसके तहत इस बार भजाने वाले परीक्षा आवेदन फार्म में अपार आईडी भरना अनिवार्य नहीं है। उल्लेखनीय है कि मंडल द्वारा शिक्षण सत्र 2025-2 के लिए हाइ व हायर सेकंडरी परीक्षा संबंधी मार्गदर्शिका एवं ऑनलाइन आवेदन भरने के निर्देश 28 जून 2023 को जारी किए जिसके तहत मंडल द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं के फार्म में यूडाइस पोर्टल पर आधारित विद्यार्थियों के लिए स्थाई शैक्षणिक आईडी (अपार आईडी) ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट को अनिवार्य किया गया था। इसे ध्यान में रखते ह इस बार शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए कक्षा 9 से 12 वीं में भरे जाने वाले आवेदन पत्रों में अपार आईडी को वैकल्पिक किय गया है। वहीं यह भी स्पष्ट किया गया है कि आगामी सत्र 2026-27 से उक्त व्यवस्था अनिवार्य होगी।
एक साल पहले शुरू हुआ था आईडी बनाने का काम
बता दें कि अपार आईडी बनाने का काम एक साल पहले ही शुरू हो चुका है लेकिन बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं की अपार आ नहीं बन सकी है। इनमें सरकारी और निजी स्कूल के छात्र-छात्राएं शामिल हैं। ऐसे में आईडी की अनिवार्यता की वजह से ज्यादातर विद्यार्थी तो परीक्षा फार्म ही नहीं भर पाएंगे। इसी वजह से मंडल को अपने आदेश में संशोधन करना पड़ा है।
आधार के डेटा संशोधन में लगता है ज्यादा समय
एक्सीलेंस स्कूल गुना के पूर्व प्राचार्य आसिफ खान के मुताबिक अपार आईडी निर्माण में शिक्षकों और बच्चों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पहले समझ लें कि अपार आईडी आधार बेस्ड है। यानि कि आधार के डेटा के हिसाब से ही आईडी का निर्माण होगा। ऐसे में यदि आधार और समग्र आईडी का डेटा मिलान नहीं करेगा तो आईडी नहीं बन पाएगी।
निर्माण के समय ऐसे कई केस सामने आए जब स्टूडेंट के नाम की स्पेलिंग और जन्म तारीख अलग-अलग पाई गई। यूआईडी के दिशा निर्देश के तहत आधार को अपडेट बार-बार नहीं कराया जा सकता। खासतौर पर जन्म तारीख। वहीं नाम, पता संशोधित होकर आने में एक माह का समय लगता है। दिक्कत सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों की आईडी में आ रही है। अभिभावक कोई खेती किसानी तो कोई मजदूरी में व्यस्त है। इन सभी कारणों के चलते अपार आईडी नहीं बन पाई हैं।