
पानीपत
अमेरिका की तरफ से भारतीय सामान पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने से हरियाणा के पानीपत की टैक्सटाइल इंडंस्ट्री पर खासा असर देखने को मिल रहा है. 27 अगस्त यानी बुधवार से अमेरिका में निर्यात होने वाली वस्तुओं पर 50% शुल्क लगना चालू हो गया और ऐसे में पानीपत में व्यापार पर संकट आ गया है.
जानकारी के अनुसार, पानीप की कारेपेट पर अप्रैल से पहले अमेरिका बाजार में सिर्फ 2.9% का शुल्क लगता था, लेकन अब यह सीधे ही 52.9% हो जाएगा।. ऐसे में पानीपत हैंडलूम इंडस्ट्री का व्यापार काफी प्रभावित होने वाला है. गौर रहे कि पानीपत से तमाम कारपेट की वस्तुएं एक्सपोर्ट होती है जिनकी कीमतें बढ़ जाएगी.
जानकारी के अनुसार, पानीपत के एक्सपोर्ट्स लगभग 1500 करोड़ के क्रिसमस के ऑर्डर तैयार करके बैठे थे।. अब अमेरिका में इन्हें लेने की वहां के कारोबारी आनाकानी कर रहे हैं. माल भाव के साथ डिस्काउंट मांग रहे हैं.
पानीपत से अमेरिका के लिए सबसे अधिक कुशन-कवर और सोफे कवर, पर्दे और कारपेट भेजा जाता था. उधर, अब इन ऑर्डरों को बांग्लादेश पाकिस्तान और वियतनाम में शिफ्ट किया जा सकता है और नई मंडियां तलाशी जा रही हैं.
70% इकाइयां टेक्सटाइल के कारोबार में
पानीपत में 10000 उद्योग इकाइयां हैं और लगभग 70% इकाइयां टेक्सटाइल के कारोबार से जुड़ी हैं. पानीपत से 60% निर्यात अकेले अमेरिका में होता हैस बाकी 40% यूरोप और अन्य देशों में भेजा जाता है. दूसरी ओर मिस्त्र, तुर्की की भी पानीपत के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि इन पर टैरिफ नहीं लगाया है. इन देशों में उत्पाद मशीनों से बनते हैं और यह देश पानीपत से कई गुना तेजी से उत्पादन करते हैं. दोनों देश एक माह में अमेरिका में अपना सामान पहुंचा सकते हैं, जबकि पानीपत को अमेरिका माल भेजने में तीन माह तक का वक्त लगता है. मिस्त्र और तुर्की के उत्पाद अब पानीपत से 50% से अधिक सस्ते होते हैं.
हैंडलूम इंडस्ट्री को बहुत बड़ा झटका
हरियाणा चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विनोद धमीजा ने बताया कि हमारा अमेरिका में 60% सामान निर्यात होता है. टैरिफ के कारण आने वाले समय में हैंडलूम इंडस्ट्री में काम करने वाले कारीगर में बेरोजगारी की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है. इसके कारण हैंडलूम इंडस्ट्री को बहुत बड़ा झटका लगा है.
नोएडा, सूरत और तिरुपुर की टेक्सटाइल यूनिट्स ने रोका उत्पादन, टैरिफ का असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जो आज यानी 27 अगस्त 2025 से लागू हो गया है। ट्रंप ने भारत पर इससे पहले 25 फीसदी टैरिफ लगाया था जो 7 अगस्त से लागू हुआ था। इससे भारत पर कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया है जो दुनियाभर में सबसे अधिक है। भारत के कई सेक्टरों पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। टेक्सटाइल, ज्वेलरी, झींगा, कालीन और फर्नीचर इंडस्ट्री पर इसका सबसे अधिक असर होगा। इस बीच भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (FIEO) ने मंगलवार को कहा कि ट्रंप के फैसले के कारण तिरुपुर, नोएडा और सूरत के कपड़ा और परिधान निर्माताओं ने उत्पादन रोक दिया है।
फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने एक बयान में कहा, “तिरुपुर, नोएडा और सूरत के कपड़ा और परिधान निर्माताओं ने उत्पादन रोक दिया है। यह क्षेत्र वियतनाम और बांग्लादेश जैसे कम लागत वाले प्रतिद्वंद्वियों के सामने पिछड़ रहा है। सी फूड खासकर झींगा, के मामले में अमेरिकी बाजार भारतीय निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा लेता है इसलिए शुल्क वृद्धि से भंडार में नुकसान, आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान और किसानों के संकट का खतरा है।”
FIEO ने कहा, “अमेरिका के साथ तत्काल राजनयिक जुड़ाव के लिए बातचीत के अवसरों का लाभ उठाना अभी भी महत्वपूर्ण है। एक अन्य दृष्टिकोण, उन्नत वैश्विक ब्रांडिंग, गुणवत्ता प्रमाणन में निवेश और निर्यात रणनीति में इनोवेशन को शामिल करके ब्रांड इंडिया और इनोवेशन को बढ़ावा देना हो सकता है ताकि भारतीय वस्तुओं को वैश्विक स्तर पर अधिक आकर्षक बनाया जा सके।”
भारत का निर्यात होगा प्रभावित
फियो अध्यक्ष ने कहा कि 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ भारतीय वस्तुओं के सबसे बड़े एक्सपोर्ट मार्केट को गंभीर रूप से बाधित करेगा। उन्होंने कहा कि यह घटनाक्रम एक झटका है और अमेरिका को भारत के निर्यात को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। रल्हन ने कहा, “भारत के लगभग 55 प्रतिशत अमेरिका की ओर जाने वाला शिपमेंट ($47-48 बिलियन) अब 30-35 प्रतिशत के नुकसान में हैं जिससे भारतीय सामान चीन, वियतनाम, कंबोडिया, फिलीपींस और अन्य दक्षिण-पूर्व और दक्षिण एशियाई देशों के प्रतिस्पर्धियों की तुलना में महंगे हो गए हैं।”
सरकार से समर्थन की मांग कर रहे टेक्सटाइल उद्योग
इस बीच, भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (CITI) ने कहा कि कपड़ा निर्माता भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ के माध्यम से भारत के कपड़ा और परिधान निर्यातकों के समक्ष उत्पन्न भारी चुनौती का समाधान करने के लिए सरकार से तत्काल अग्रिम समर्थन की अपेक्षा कर रहे हैं। सीआईटीआई के अध्यक्ष राकेश मेहरा ने कहा, “सरकार उद्योग जगत के साथ इस बात पर चर्चा कर रही है कि इस कठिन समय में वह हमारी कैसे मदद कर सकती है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हमारी अपेक्षा है कि राजकोषीय सहायता और कच्चे माल की उपलब्धता से संबंधित नीतिगत निर्णयों के रूप में ठोस कदम तुरंत उठाए जाएँगे।”
राकेश मेहरा ने कहा, “दांव पर न केवल भारत के कपड़ा और परिधान निर्यातकों का भविष्य और उसके परिणामस्वरूप देश की विदेशी मुद्रा आय का नुकसान है बल्कि कपड़ा और परिधान क्षेत्र में अनगिनत नौकरियां भी हैं। साथ ही 2030 तक 100 अरब डॉलर के कपड़ा और परिधान निर्यात के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावना भी है।