
आगरा
प्रेम की मिसाल और दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। आगरा स्थित इस ऐतिहासिक इमारत के गुंबद से पानी टपकने की बात सामने आई है – और वह भी 73 मीटर की ऊंचाई से, अब सवाल यह उठ रहा है कि इतने ऊपर तक पानी गया कैसे, और टपक कैसे रहा है?
73 मीटर की ऊंचाई से हो रहा रिसाव
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को जब इसकी जानकारी मिली, तो तुरंत विशेषज्ञों की टीम को ताजमहल भेजा गया। जांच में यह पाया गया कि मुख्य गुंबद के ऊपरी हिस्से में पानी का रिसाव हो रहा है, जिससे इमारत की संरचनात्मक मजबूती पर सवाल उठने लगे हैं।
रिसाव का पता चला हाईटेक तकनीक से
ASI की टीम ने जांच के लिए लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LiDAR) तकनीक का इस्तेमाल किया — जो एक लेज़र-आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक है। इसके अलावा, GPS, 3D स्कैनर और ड्रोन की भी मदद ली गई, जिससे गुंबद की हर परत और कोने की थर्मल मैपिंग की गई।
क्या हैं रिसाव की वजहें? जांच में रिसाव की तीन मुख्य वजहें सामने आईं
गुंबद पर लगे पत्थरों के बीच की जुड़ाई (मसाला) समय के साथ कमजोर हो गई है, जिससे पानी रिसने लगा। छत का दरवाज़ा और फर्श अब क्षतिग्रस्त स्थिति में हैं, जो पानी को अंदर आने दे रहे हैं। गुंबद के शीर्ष पर लगा कलश अब जर्जर स्थिति में है। इसमें लगी लोहे की छड़ में ज़ंग लग गई है और उसके चारों ओर का मसाला फूल गया है, जिससे पानी नीचे आ रहा है। ASI ने 15 दिनों के भीतर इस रिसाव पर विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। इसके बाद विशेषज्ञों की टीम गुंबद की मरम्मत का काम शुरू करेगी। अनुमान है कि इस मरम्मत में करीब 6 महीने का समय लग सकता है, जिसमें गुंबद के शीर्ष हिस्से को स्थायित्व और मजबूती दी जाएगी।